कुछ भी के लू मेरे अंदर से खराबी नहीं जाती!

कुछ भी के लू मेरे अंदर से खराबी नहीं जाती,
ये क्या है जो तेरी मुझसे बेताबी नहीं जाती,
तेरी एक मुस्कराहट पे अपना सब कुछ लुटा देता हूं,
क्या करू इश्क मे ये नबाबी नहीं जाती।

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